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Showing posts from March, 2023

चोहार घाटी के देवता घढोनी नारायण की रहस्मयी कहानी

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 चोहार घाटी के देवता घढोनी नारायण की रहस्मयी कहानी   छोटी काशी मंडी वाशी  तीन वर्ष के बाद हार भ्रमण पर पद्धर क्षेत्र में पहुंचे। देवरथ के साथ दर्जनों कारदार, वाद्ययंत्री देवता के भ्रमण की शोभा बने हुए हैं। घड़ौनी नारायण का रथ घर घर जाकर लोगों को आशीर्वाद दे रहा है। देव घड़ौनी नारायण का हार भ्रमण इस बार द्रंग सिरा क्षेत्र का है, जो हर तीन वर्ष के उपरांत होता है। घड़ौनी नारायण 24 दिसंबर को हार भ्रमण पर अपने प्राचीन मंदिर घड़ौन गांव से रवाना हुए हैं। सोमवार को देवता का रथ लांझणू, बड़ीधार, बासाधार, तरयांबली, हुल्लू,  सहयोगी, पद्धर : चौहारघाटी अमरगढ़ नरेश बड़ादेयो भगवान बलराम रूपी घड़ौनी नारायण तीन वर्ष के बाद हार भ्रमण पर पद्धर क्षेत्र में पहुंचे हैं। देवरथ के साथ दर्जनों कारदार, वाद्ययंत्री देवता के भ्रमण की शोभा बने हुए हैं।  घड़ौनी नारायण का रथ घर घर जाकर लोगों को आशीर्वाद दे रहा है। देव घड़ौनी नारायण का हार भ्रमण इस बार द्रंग सिरा क्षेत्र का है। देवता 24 दिसंबर को हार भ्रमण पर अपने प्राचीन मंदिर घड़ौन गांव से रवाना हुए हैं।   तीन वर्ष के बाद हार भ्रमण पर पद...

मूलमहुँ नाग से जुड़ा हुआ ऐतिहासिक सच सूर्य पुत्र कर्ण है मूलमहुँ नाग

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मूलमहुँ नाग से जुड़ा हुआ ऐतिहासिक सच सूर्य पुत्र कर्ण है मूलमहुँ नाग हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्तिथ यह मंदिर यह मंदिर सूर्य भगवान के बेटे कर्ण मूल माहुंनाग जी समर्पित है। यह मंदिर बहुत ऐतिहासिक और लोकप्रिय है। यह प्रसिद्ध मंदिर नालदेहरा गोल्फ कोर्स के बीच में स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर के इष्टदेव लोगों के कानूनी मामलों और पारिवारिक विवादों को हल करने में सहायता करता है।  यह धार्मिक मंदिर पहाड़ी वास्तुकला की शैली को प्रदर्शित करता है। ऐतिहासिक कथा के अनुसार यह मंदिर 1664 में राजा श्याम सेन द्वारा निर्मित किया गया था। इस लिए यह बहुत ही ऐतिहासिक मंदिर माना जाता है। इन्हे कर्ण का एक प्रबल भक्त माना जाता है। इस मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की एक बड़ी संख्या हर हफ्ते रविवार को यहां आती है। इस स्थान में सालाना मेले का आयोजन किया जाता है। यह हिंदू त्योहार मकर संक्रांति के दौरान आयोजित किया जाता है।   इस मंदिर की पहाड़ी से शिकारी माता जी के दर्शन, Shikari Mata darshan from the hill of this temple जो भक्तों की बड़ी संख्या को अपनी ओर आकर्षित करता है। करसोग के इस ...

Tarna Mata Mandi Himachal Pradesh ( मां श्यामकाली ने क्यों रखा भगवान शिव पर अपना पैर )

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  प्राचीन काल में राक्षस अपनी तपस्या के बल पर ऐसी शक्तियां प्राप्त कर लेते थे, जिनके सामने टिकना देवताओं के लिए भी मुश्किल हो जाता था। राक्षस अपनी शक्तियों का प्रयोग करके आतंक और भय फैलाते थे। ऐसी ही एक घटना रक्तबीज नाम से राक्षस से जुड़ी है। रक्तबीज का अंत मां काली के हाथों हुआ, लेकिन इस दौरान गलती से मां काली का पांव भगवान शिव के ऊपर आ गया था। आइये, जानते हैं उस घटना के बारे में। एक बार रक्तबीज नाम के एक राक्षस ने भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे एक वरदान हासिल कर लिया। रक्तबीज को यह वरदान मिला था कि उसका खून जहां भी गिरेगा, वहां से उसी के समान राक्षस पैदा हो जाएगा। रक्तबीज को अपने इस गुण पर बहुत अभिमान था, इसलिए उसने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। घमंड में चूर रक्तबीज ने देवताओं को युद्ध के लिए ललकारा। देवता रक्तबीज से लड़ने के लिए आ गए, लेकिन जहां भी रक्त बीज का रक्त गिरता, वहां से एक और रक्त बीज पैदा हो जाता। इसका परिणाम यह हुआ कि बहुत सारे रक्तबीज पैदा हो गए, जिन्हें हराने का कोई रास्ता देवताओं को दिखाई नहीं दे रहा था। घबरा कर सभी देवता मां दुर्गा के पास पहु...

Sundarnagar nadwal mela

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  Punjabi singer Ninja live 2022 mandi